हम अपने बदन को साफ़ रखने के लिए हर रोज साबुन का इस्तेमाल करते है. क्या अपने कभी ये सोचा के इस साबुन को किसने आविष्कार किया ?
साबुन का आविष्कार 2800 BC में बबीलोनियंस ने किया था. जिसका सबूत उस ज़माने में साबुन के लिए इस्तेमाल की गयी मिट्टी के बर्तन से मिलता है.
उस ज़माने के मिट्टी से बनाए गए टेबलेट पर इस साबुन को बनाने का तरीखा भी लिखा गया था. इस टेबलेट के मुताबिक जानवरों की चर्बी, राख और पानी को मिलकर साबून को बनाया गया.
इस साबून से बदन को साफ़ नहीं किया जाता, सिर्फ कॉटन और वूल को साफ़ किया जाता.
इसी तरह रोम में भी साबुन का इस्तेमाल किया जाता. जिसे रोम के महिलाओं ने नदी के किनारे कपड़े धोते समय डिस्कवर किया था.
जब रोम के महिलाओं ने नदी के कुछ हिस्सों पर कपडे धोते तो कपडे ज़्यदा साफ़ हो जाते अब इसके पीछे राज़ ये है.
साबुन को रोम के सप्पो हिल पर जानवरों की बलि दी जाती. जब बारिश होती तो जानवर की चर्बी और राख को बहाकर लेजाती जो नदी के किनारे जाकर साबुन जैसा मिश्रण बन जाता.
जब इस बात का पता चला तो रोमैंस ने बकरी की चर्बी को लेकर साबुन बनाने लगे. इसी तरह एजिप्शन्स ने भी जानवरों की चर्बी से निकाला गया तेल और वेजिटेबल आयल और अल्कली साल्ट्स (Alkali salts)को इस्तेमाल करके साबून बनाया था जो सिर्फ स्किन डिसीजेस के लिए इस्तेमाल किया जाता.
12 वि शताब्दी में अरब में साबुन के लिए वेजिटेबल आयल, ओलिव आयल , और खुशबु के लिए थाइम आयल (Thyme oil) और अल्कली को इस्तेमाल किया गया. ये इंग्रेडिएंट्स बाद में बनाए गए साबून के लिए मददगार बने.
18 वि शताब्दी तक साबून पर टैक्स था और सिर्फ अमीर लोग ही इस्तेमाल किया करते. आम लोगों के लिए साबुन खरीदना बहुत मुश्किल था. 1853 में जब टैक्स हटा दिया गया थो और कम दाम में अच्छी कवालिटी के साबून मार्किट में आना शुरू हो गये.
19 वि शताब्दी में लिक्विड सोप का आविष्कार किया गया. जिसका लाइसेंस 1865 में विलियम शेप्फर्ड को मिला.