इंसान एक आविष्कार के मदद से दूसरे अविष्कार को पूरा किया है. मोबाइल फ़ोन के आविष्कार में भी ऐसा हुआ है,मोबाइल फ़ोन से पहले किये जाने वाले कुछ आविष्कार जैसे के टेलीग्राफ, रेडियो फ्रीक्वेंसी, टेलीफोन मोबाइल फ़ोन के अविष्कार के लिए बहुत मदद गार बने.
यह तो हम जानते है के पहले टेलीफोन तार के साथ जुड़े हुए जाते थे, हर जगह इस टेलीफोन नहीं ले जा पाते.इस चीज़ को खत्म करके पोर्टेबल मोबाइल फ़ोन्स बनानेकी सोंच वैज्ञानिक के दिमाग में आयी थी.इस तरीके से हम कही भी किसी को भी कॉल करके बात करसकते है.
एक और कारण मोबाइल फोन्स को बनाने के पीछे ये था के, टेलीफोन कॉल्स करनेके लिए पब्लिक स्वित्चेद टेलीफोन नेटवर्क (Public switched telephone network) से पहले कनेक्ट होना पड़ता था. फ्री लाइन मिलने के बाद ही बात करसकते थे. इस प्रक्रिया में PSTN में बैठे हुए ऑपरेटर 2 लोगों के कॉल को जोड़ते थे.
ये सब इंतज़ार वायरलेस मोबीलेफोने ख़तम कर सक्ता है. लेकिन वायरलेस कम्युनिकेशन को बनाना इतना आसान नहीं था. चैनल्स या लाइन्स कॉल कनेक्ट करने के लिए उतनी ज़्यादा नहीं थी जितने कॉल करने वाले लोग थे.इसलिए हमेशा कॉल कनेक्ट करने के लिए इंतज़ार करना पड़ता था.
मोबाइल फ़ोन का इतिहास :
1918 में जर्मन रेलरोड सिस्टम्स ने बर्लिन (Berlin) और जोसेन (Zossen) के बीच चलने वाली मिलिट्री ट्रैंस में वायरलेस टेलीफोन सिस्टम को आज़माया.
दुसरे विश्व युद्ध के समय मिलिट्री ने कम्युनिकेशन के लिए वल्कि टाल्की जैसे दिखने वाले रेडियो फ़ोन्स का इस्तेमाल करना शुरू किया था.यही बाद में वल्कि टाल्कीस के आविष्कार को जन्म दिया और साथ में टेलीफोन के आविष्कार में भी मददगार बने.
1940 से वायरलेस मोबाइल फ़ोन को बनाने की कोशिशें जारी थी लेकिन टेक्नोलॉजी इतनी ज़्यादा नहीं होने के कारण से मोबाइल फ़ोन को बनाने में काफी वक़्त लगरहा था.
मोबाइल फ़ोन से पहले ऑटोमोबाइल फ़ोन को बनाया गया था.जो सिर्फ 4 पहिये वाले गाड़ियों में हुआ करता था क्यों की इस मोबाइल फ़ोन को चलने के लिए बहुत पावर की ज़रूरह होती थी.
इस फ़ोन की बैटरी को गाड़ी की डिक्की में लगाया जाता था.ये मोबाइल फ़ोन से कॉल करने लिए आधा घंटा लाइन पर रुकना होता था क्यों की उस वक़्त कॉल करने के लिए लाइन्स बहुत कम हुआ करते थे.
Bell labs :
आधुनिक मोबाइल फोन्स के टेक्नोलॉजी के पीछे बेल्ल लैब्स (Bell labs) का बहुत बड़ा योगदान है. बेल्ल लैब्स को एलेग्जेंडर ग्राहम बेल ने सत्यापित किया था.इस लैब को बाद में AT&T कंपनी ने खरीद लिया और ऑटोमोबाइल में यानी 4 पहिये वाले गाड़ियों में रेडियो फ़ोन्स के ऊपर काम करना शुरू किया था.
1949 में मोबाइल टेलीफोन सर्विस को शुरू किया था. उस ज़माने में अगर आपको किसीको कॉल करना होता तो पहले एक ऑपरेटर को बताना पड़ता था,ये ऑपरेटर लाइन फ्री होने पर आप का कॉल कनेक्ट करता था. कभी कभी 30 मिनट तक कॉल कनेक्ट होनेका इंतज़ार करना पड़ता था.
बेल्ल लैब्स के वैज्ञानिक ने सेलुलर नेटवर्क टेक्नोलॉजी को आविष्कार करने के बाद मोबाइल फोन्स कनेक्ट करने में आसानियाँ पैदा हुई.ये सेलुलर नेटवर्क सर्किल और स्क्वायर न होते हुए हेक्सागोनल शेप में होता था. हेक्सागोनल शेप में होने से नेटवर्क कनेक्ट होने में परेशानी नहीं होती थी.
सेलुलर नेटवर्क एक जगह को कई हेक्सागोनल सेल्स के शेप में बांट देता है. इन हेक्सागोनल के एक सेल में एक टावर होता है जिसे आप कॉल कर सकते है.लेकिन जब एक टावर से दूसरे टावर के रेंज में जाने के बाद कॉल डिसकनेक्ट हो जाता था.
बेल्ल लैब्स के ही एक और आविष्कार “ हैंडऑफ़ ” (Handoff) ने इस परेशानी को भी ख़तम करदिया. “ कॉल हैंड ऑफ ” तकनीक के बाद जब कार एक टावर से दूसरे टावर के एरिया में जाती तो नेटवर्क आराम से कनेक्ट होजाता.
उस ज़माने में तकरीबन सारे वैज्ञानिक इस बात के पीछे पड़े हुए थे के 4 पहिए वाले गाड़ियों में कैसे मोबाइल फ़ोन को आसान किया जाये.वॉकी टॉकी जैसे दिखने वाले फ़ोन से बहुत परेशानी होती थी. नंबर डायल करने वाला सिस्टम भी नहीं था.
मॉडर्न टेलीफोन का आविष्कार :
उस ज़माने में मोबाइल फोन्स और कम्युनिकेशन सिस्टम को लेकर AT&T हर तरीकेसे आगे बड़ रहा था.मोटोरोला कंपनी ने भी उस वक़्त वायरलेस मोबाइल बनाने की कोशिश में लग गया.
उस वक़्त AT&T को टक्कर देने के लिए एक ऐसा फोन तैयार करना था जिसे आदमी कही भी ले जा सके और डायल करके किसी से भी बात कर सके.
मार्टिन कूपर, जो उस वक़्त मोटोरोला कंपनी में काम कर रहे थे. उनको ये ख़याल आया के एक पोर्टेबल फ़ोन को बनाना चाहिए जिसे आदमी कही भी लेजकर बात कर सके.
बहुत साल के कोशिशों के बाद 1973 में पहलीबार मार्टिन कूपर ने 1.1 Kg का पोर्टेबल मोबाइल फ़ोन बनाया. जिससे आप डायल करके बात कर सकते है.
मार्टिन कूपर ने ये फ़ोन बनाने के बाद अपना प्रतिद्वंद्वी बेल्ल लैब्स के इंजीनियर डॉ. जोएल स. एंगेल (Dr. Joel S. Engel) के लैंडलाइन को कॉल करके बताया के “ मई एक सेल फ़ोन से कॉल कर रहा हूँ, जो एक पोर्टेबल सेल फ़ोन है “.
Metal-oxide-semiconductor (MOS) और Large-scale integration (LSI), Information theory, Cellular networking जैसे आविष्कार के बाद तेज़ी के साथ वायरलेस मोबाइल में बदलाव आना शुरू हो गया.
1G ,2G, 3G, 4G जैसे जनराशंस के नेटवर्क्स आना शुरू होगये अब तो 5G भी आने वाला है.इस तरह से बहुत सारे लोगों के मेहनत से और छोटे छोटे कई आविष्कार की मदत से आज हम मोबाइल फ़ोन इस्तेमाल कर रहे है.