क्रिप्टोकररेंसी (Cryptocurrency) में क्रिप्टो का मतलब सीक्रेट (secret) है. इस शब्द को ग्रीक के कृपटोस (kruptos) से लिया गया है. Cryptocurrency बैंकिंग सिस्टम्स से बिलकुल अलग है. Cryptocurrency एक virtual currency है.
जिसका मतलब इस करेंसी सिस्टम में न कोई कॉइन होगा न कोई पेपर के नोट, बस नंबर्स में रहेगा. इस Cryptocurrency के लिए क्रिप्टोग्राफ़ी (Cryptography) का इस्तेमाल किया जाता है.
Cryptocurrency का कांसेप्ट 1980’s से ही था. लेकिन सबसे पहला Cryptocurrency बिटकॉइन (Bitcoin) को 2009 में सातोशी नकामोटो (Satoshi nakamoto) ने बनाया था.अब ये Satoshi nakamoto मर्द है. या महिला है या एक ग्रुप है कोई नहीं जानता था.आज 1000 से भी ज़्यादा Crypto currencies मार्किट में मौजूद है.
क्रिप्टोग्राफ़ी (Cryptography) को क्रिप्टोलॉजी (Cryptology) भी कहा जाता है. इस क्रिप्टोग्राफ़ी में advanced mathematics के ज़रिये दो आदमियों के बीच communication को encryption और decryption के ज़रिये सुरक्षित किया जाता है. ताकि कोई तीसरा आदमी जानकारी को चोरी ना कर सके.
इस करेंसी की सब से अच्छी बात ये है के इसे कोई कण्ट्रोल नहीं करता था. इसको इस्तेमाल करनेवाले ही इसे कण्ट्रोल करते है. क्रिप्टोकररेंसी इतना सुरक्षित है की किसी की पहचान को ये बताता नहीं है. लेन-देन (Transactions) होते समय ये पता नहीं लगा सकते की कौन किसके साथ लेन-देन कर रहा है.
क्यों की इस करेंसी की कोई अधिकारी (Authority) नहीं है. इसलिए कोई भी अपने खाता में कितना भी चाहे करेंसी रकसकते है और आराम से पूरी दुनिया में इस करेंसी को खर्च करसकते है. क्रिप्टो करेंसी की मूल्य इसके इस्तेमाल करनेवाले उपयोगकर्ताओं और कुछ complex protocols पर निर्भर करती है.
इस सिस्टम में ब्लॉक चैन (Block chain) के नाम से एक रजिस्टर रहता है जिसमे सारे लेन-देन रिकॉर्ड होते है और इन लेन-देन को हर यूजर देख सकता है। जैसा मैंने पहले बताया के ये सब users की पहचान छुपी हुई होगी. जब किसी 2 लोगों के बीच कोई लेन-देन होरहा हो तो इस लेन-देन को कम्पलीट होनेके लिए कुछ मिनट्स का टाइम लगता है.
लेन-देन होते समय दोनों users के खाते लेन-देन होने तक रोक दिया जाता है. क्यों की users वही करेंसी का इस्तेमाल करके 2 & 3 ट्रांसक्शन्स करसकते है. अब आपके दिमाग में ये सवाल आ रहा होगा क्यों लेन-देन के लिए समय लगता है, तो इसकी वजह ये है के हर लेन-देन एक mathematical problem से जुड़ा होता है जो हर लेन-देन के बाद और मुश्किल होता चला जाता है.
इन लेन-देन को करने के लिए शक्तिशाली setup की ज़रूरत होती है. जिसके लिए बहुत सारी बिजली की भी ज़रूरत होती है. इन लेन-देन को सँभाल ने वालों को मैनर्स (miners) कहा जाता है. जो कभी अकेले काम करते है और कुछ लोग groups बनकर काम करते है. हर लेन-देन के बाद miner को इनाम में कुछ Crypto currency का हिस्सा मिलता है.
हर Crypto currency के user के पास एक प्राइवेट की (Private key) होती है. जिसका इस्तेमाल करके 2 लोग लेन-देन करते है. ये प्राइवेट कीस 1 से लेकर 78 डिजिट्स के बीच होती है. अगर कोई इस की (Key) को भूल जाता है तो उसका पूरा क्रिप्टोकोर्रेंसी एक ही झटके में ग़ायब हो जाता है. क्यों की private key के बिना लेन-देन मुमकिन नहीं होगा.
हर लेन-देन के बाद एक नए कॉइन का हिस्सा पैदा होता है जिसे इनाम में miners को दिया जाता है. Cryptocurrency सीमित नंबर्स में रहती है एक वक़्त आने पर नए coins पैदा होना बंद हो जाते है. जैसा के bitcoin एक क्रिप्टोकोर्रेंसी है, 22 वि सदी में के नए bitcoins पैदा करना बंद हो जायेगा. इस के बाद miners हर लेन-देन को सुरक्षित करने के लिए charge करेंगे जो बैंक्स के मुकाबले में तो बहुत काम होगा. इस वक़्त 1 बिटकॉइन की क़ीमत 5,28,081.30rs है.
इस Cryptocurrency को खरीद भी सकते है और बेच भी सकते है. लेकिन कुछ देश के के सरकारों ने इस करेंसी को band करदिया इसकी एक वजह ये है इस करेंसी का इस्तेमाल करके ग़ैरक़ानूनी चीज़ें खरीदा जाता है. कुछ जगाओं पर Cryptocurrencies के एटीएम (ATM) भी मौजूद है.