हमारे जिस्म पर कोई घाव हो या कोई हड्डी टूट गयी हो तो उसे हम आराम से देख कर पहचान सकते है. क्यों की ये सारी चीज़ें हमारे अंकों के सामने है.
लेकिन जब हमारे बॉडी के अंदर कोई ऑर्गन खराब हो जाता है या कोई बिमारी हमारे जिस्म के अंदर पहल रही है तो उसे कैसे पहचाने ?
इसी के लिए MRI का अविष्कार किया गया था, ताके हमारे बॉडी के अंदर भी डायग्नोसिस किया जा सके.
अगर आप कभी अपने घर वालों को या किसी दोस्त से एमआरआई के बारे में सुना होगा. मेडिकल फील्ड में अलग अलग प्रकार के टेस्ट होते है, जिन्हे इस्तेमाल करके एक इंसान की परेशानी को या बीमारी को समझ सकते है.
मिसाल के तौर पर हमारा ब्लड ग्रुप मालूम करने के लिए ब्लड टेस्ट को किया जाता है.
एमआरआई यानी मैगनेटिक रेजोनेंस इमेजिंग हमारे शरीर के ऑर्गन और टिश्यू को सम्पूर्ण तारीखे से स्कैन करके इमेजेज को निकालता है.
इन इमेजेज का इस्तेमाल करके कोई ऑर्गन डैमेज हुआ है या नहीं चेक करते है और टिश्यू डैमेज को भी पहचाना जाता है.
एमआरआई का अविष्कार :
इस अविष्कार के लिए एक नहीं बल्कि कई वैज्ञानिकों का योगदान रहा है. Paul Lauterbur, Peter Mansfield, Raymond Damadian ने MRI का अविष्कार किया है.
Paul Lauterbur :
पॉल लौटरबर ने पहलीबार 1973 में मैग्नेटिक फील्ड का इस्तेमाल करके MR इमेज को बनाया था. इस एक्सपेरिमेंट में 2 1-mm डायमीटर के ट्यूब का MR इमेज को बनाया गया था. Paul Lauterbur ने इस तकनीक को जिउगमाटोग्राफी (zeugmatography) नाम से बुलाया था. ये एक्सपेरिमेंट सक्सेस होने के बाद एक जान दार जीव क्लाम (Clam) का MRI को बनाया था. इस तरह दुनिया सब से पहला MRI अविष्कार हुआ.
Peter Mansfield :
पीटर मैन्सफील्ड नाम के एक और अविष्कारक ने 1977 में इसी MRI तकनीक में सुधार करके एक इंसान की ऊँगली का MRI निकाल कर इंसानो के लिए भी ये तकनीक का इस्तेमाल आसान करदिया.
Raymond Damadian :
रेमंड दामडीएन एक ऐसे अविष्कारक है जिन्होंने MRI को असली दुनिया में इस्तेमाल किया था. MRI को इंसान के अंदर रहने वाले भयंकर बीमारियां जैसा के कैंसर को पहचान ने के लिए फुल बॉडी स्कैन MRI का अविष्कार किया था.
शुरू ज़माने में MRI को NMR (Nuclear magnetic resonance) बुलाया जाता था, नुक्लियर शब्द एक गलत नजरिया बनाएगा इसीलिए एनएमआर की जगह सिर्फ MRI का इस्तेमाल करना शुरू किया गया था.
अब यहाँ तक आपने ये देखलिया है के MRI किसे कहते है और इसको किसने अविष्कार किया था. लेकिन अगर MRI के बारे में पूरा जान न हो थो वो कैसे काम करता है जान न बहुत ज़रूरी है.
MRI कैसे काम करता है ?
पृध्वी पे रहने वाले सारे जीव के अंदर पानी बहुत अहम भूमिका निभाता है. इंसान के शरीर का अधिकतर हिस्सा पानी से बना हुआ है. पानी का फार्मूला है H2O. एक ऑक्सीजन एटम 2 हाइड्रोजन एटम के सात बांड को बनाते है.
हर हाइड्रोजन एटम का कुछ हिस्सा मैगनेट की तरह काम करता है. ये हमारे शरीर के अंदर का मैकेनिज्म, अब मशीन में क्या क्या चीज़ें होती है जिस से हमें MRI करने में मदत मिलती है.
मशीन में मैगनेट, रेडियोवेव्स, ग्रेडिएंट, एक कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जाता है.
MRI स्कैन करने के लिए एक बड़ा मैगनेट इस्तेमाल किया जाता है. जब इंसान इस बड़े मैगनेट के अंदर भेजा जाता है तो मैग्नेटिक फील्ड को एक्टिवेट किया जाता है. इस मैग्नेटिक फील्ड को ग्रेडिएंट की मदत से एक निर्णीत फ्रीक्वेंसी को भेजा जाता है.
ये मैग्नेटिक फील्ड हमारे शरीर में रहने वाले हाइड्रोजन एटम को प्रभावित करता है, और मैग्नेटिक वेव्स के दिशामे घूमने लगते है.
कुछ एटम जो मॅग्नटिक फील्ड से प्रभावित नहीं हो पते है उन्हें रेडियो वेव्स का इस्तेमाल करके प्रभावित किया जाता है. अब जिस जगह MRI स्कैन किया गया था वहां के एटम्स रेडियोवेव्स को बहार भेजते है.
अब ये सारा प्रोसेस रिसीविंग कोइल के ज़रिये कलेक्ट किया जाता है, जो कंप्यूटर इस मशीन से जुड़ा हुआ है उसकी मदत से MRI स्कैन के इमेजेज को बनाया जाता है.
MRI और X – Ray :
MRI से पहले X -रे का इस्तेमाल किया जाता था. X – rays इतने एक्यूरेट हुआ नहीं करते थे. X – Ray में रेडिएशन का इस्तेमाल किया जाता है वही MRI में रेडियोवेव्स का इस्तेमाल किया जाता है.
इसी लिए MRI को सेफ और एक्यूरेट माना जाता है.
ट्रांजिस्टर के आविष्कार के बाद कंप्यूटर के परफॉरमेंस में सुधार किया गया एयर इमेज बनाने में भी असानिया पैदा हुई.
Also read