ब्लूटूथ का आविष्कार किसने किया – Who Invented Bluetooth ?

आज एक मोबाइल फ़ोन से दुसरे मोबाइल को डाटा ट्रांसफर करने लिए बहुत सारे ऐप्प मौजूद है और कुछ देर में डाटा ट्रांसफर हो जाता है. लेकिन कुछ साल पहले ब्लूटूथ को ही डाटा ट्रांसफर के लिए इस्तेमाल किया जाता था.

आज ब्लूटूथ डाटा ट्रांसफर के अलावा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस को कनेक्ट करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

आज के टेक्नोलॉजी के दुनिया में हम हर रोज अपने डिवाइसेस को ब्लूटूथ के ज़रिये कनेक्ट करते रहते है. ब्लूटूथ का एक अच्छा उदहारण है वायरलेस्स हेडफोन्स, जिनके ज़रिये हम फ़ोन, लैपटॉप, म्यूजिक सिस्टम से कनेक्ट करते है.

इतिहास (History) :

ब्लूटूथ टेक्नोलॉजी को क्यों बनाना शुरू किया गया था ? आज से कुछ साल पहले हर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को वायर का इस्तेमाल करके कनेक्ट किया जाता था.

वैज्ञानिकों ने सोंचा के एक ऐसी टेक्नोलॉजी को बनाना चाहिए जिस के ज़रिये हम 2 डिवाइसेस को एक साथ जोड़ ने में आसानी पैदा हो और डाटा को भी ट्रांसफर करने में मदत मिलजाए.

शुरू के दिनों में ब्लूटूथ को “शार्ट लिंक (Short – link)” के नाम से जाना जाता था.

1989 में ब्लूटूथ को शुरू करने वाला आईडिया या सोंच ऐरिक्सन कंपनी के सी.टी.ओ (Chief Technology Officer) नील्स रैडबेक (Nils Rydbeck) को आया था.

नील्स ने तुरंत एक टीम को बनाया जिसमें टोर्ड विनग्रेन ( Tord Wingren ), जाप हार्टसेन ( Jaap Haartsen ), स्वेन मट्ठिस्सान (Sven Mattisson) थे.

ब्लूटूथ का अविष्कार (Bluetooth Invention):

1997 में IBM के प्रमुख अदालिओ सांचेज़ (Adalio Sanchez) ने नील्स रैडबेक से मिला और बताया के आईबीएम थिंक पैड (IBMThinkpad) को और मोबाइल फोन को इंटेग्रेटे करने का आईडिया दिया लेकिन तकनीकी कारणों की वजह से रोक दिया गया था.

बाद में दोनों कमपनाईयों ने लैपटॉप और फ़ोन को इंटेग्रेटे (जोड़ने) किये बिना शार्ट लिंक टेक्नोलॉजी को बनाने का सोंचा जो दोनों को आपस में बिना तार के जोड़ दे.

एरिकसन, आईबीएम दोनों कंपनियों ने इंटेल, तोशिबा, नोकिया को अपने सात जोड़ लिया. 1999 में पहली बार दुनिया का पहला ब्लूटूथ को बनाया गया था,जो एक वायरलेस हेडसेट था.

इस अविष्कार का इस्तेमाल करके एरिकसन ने पहला ब्लूटूथ मोबाइल फ़ोन को बनाया था और आईबीऍम ने ब्लूटूथ लैपटॉप को बनाया था

ब्लूटूथ काम कैसे करता है (How Bluetooth works) :

ब्लूटूथ टेक्नोलॉजी के लिए अल्ट्रा हाई फ्रीक्वेंसी (Ultra high frequency) रेडियो वेव्स का इस्तेमाल किया जाता है. ये फ्रीक्वेंसी 2.4 GHz से 2.480 GHz के बीच होती है.

ब्लूटूथ के लिए frequency-hopping spread spectrum टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है. इस टेक्नोलॉजी के ज़रिये एक सेकंड में 1600 hops किया जाता है. हर हॉप अलग फ्रीक्वेंसी से डाटा को भेजता है.

ब्लूटूथ डाटा को छोटे छोटे पॉकेट के रूप में भेजता है. हर पॉकेट ट्रेवल करने के लिए 79 चैनल्स होते है. हर चैनल 1 Mhz से चलता है.

अलग अलग फ्रीक्वेंसी और अलग अलग चैनल्स होने की वजह से बिना कोई परेशानी के एक डिवाइस 8 डिवाइस तक कनेक्ट कर सकता है.

वक़्त के सात ब्लूटूथ कई सारे बदलाव किये गए और अलग अलग प्रकार के वर्जन भी बनाये गए. आज कल के ब्लूटूथ में ये खासियत है के ये काम पावर इस्तेमाल करते है ताके बहुत देर तक हम कनेक्टेड रहे.

ब्लूटूथ का नाम और लोगो (Name and Logo) :

ब्लूटूथ को Harald Bluetooth नाम के राजा को आधार करके रखा गया था. ये राजा डेनमार्क (Denmark) और नॉरवे (Norway) देशों को जोड़ा था. ब्लूटूथ भी दो डिवाइसेस को जोड़ता है. इसीसलिए इसका नाम ब्लूटूथ रखा गया.

1997 में Jim Kardach ने ब्लूटूथ नाम को रखने का आईडिया दिया था. ब्लूटूथ का लोगो भी इसी राजा के नाम के ऊपर रखा गया है. इस लोगो को Scandinavian नाम के भाषा के अक्षर लेकर इंग्लिश अक्षर के रूप में बनाया गया था.

आज भी हमारे रो की कई सारे डिवाइसेस ब्लूटूथ पर निर्भर है.

Leave a Comment