दुनिया के बहुत सारे अविष्कार इंसान ने प्रकृति को देख कर बनाया है. कही न कही प्रकृति हमें इशारा देती है नए नए अविष्कार के लिए. मिसाल के तौर पर पेपर का अविष्कार वास्प (WASP) को देख कर बनाया गया था.
इंसान जब देखा के परिंदे और बहुत सारे कीड़े हवा में उड़ रहे है तो सोंचा के इंसान हवा में क्यों उड़ नहीं सकता ?
बस इसी सोंच को लागू करके एयरोप्लेन को बनाया. साल 1903 में हवाई जहाज़ का अविष्कार हुआ था, एयरोप्लेन हमें कम समय में एक जगह से दूसरी जगह को में ले जाता है लेकिन इसमें भी कुछ कमियां है.
हवाई जहाज़ उड़ने के लिए और ज़मीन पर उतरने के लिए रनवे का होना ज़रूरी है. कुछ लोगों को लेकर कम ऊंचाई से चला नहीं सकते.
हवाई जहाज़ को एक तरफ से दूसरी तरफ आराम से घुमा नहीं सकते, बस इन्ही सब कमियों को देख कर वैज्ञानिकों ने सोंचा के एक ऐसी उड़ने वाली मशीन को बनाना चाहिए जो इन कमियों को पूरा करसके.
हेलीकाप्टर का अविष्कार:
हेलीकाप्टर उड़ने के लिए रनवे की ज़रुरत नहीं है, ये आगे, पीछे, दायें और बाएँ आराम से चलती है. कही कोई ऊंचाई पे फस गया हो या फिर किसी को कुछ दूरी के लिए एक जगह से दूसरी जगह को जाना है ये अच्छे तरीके से काम करता है.
मेडिकल इमरजेंसी के वक़्त एक हॉस्पिटल से दूसरे हॉस्पिटल जाने के लिए भी हेलीकाप्टर बहुत काम में आता है.
हेलीकाप्टर की शुरुवात एक तरह से 400 BC से हुई थी, उस ज़माने में बच्चे बम्बू से बने उड़ने वाले खिलोने से खेला करते थे. ये खिलोने में एक लकड़ी और ऊपर के तरफ पंखा हुआ करता था. जब इसको उड़ाया जाता तो सीधा उड़ता.
कई सालों तक वैज्ञानिकों ने हेलीकाप्टर को बनाते रहे. ये हेलीकॉप्टर एक रोटर की मदत से उड़ती थी लेकिन इसमें एक समस्या ये था के हेलीकाप्टर तो उड़ती थी लेकिन गोल गोल घूमती थी.
ये इसलिए होता था क्यों की न्यूटन के लॉ के मुताबिक हर एक्शन का एक अपोजिट रीएक्शन होता है.
साल 1480 में लेओनार्दो दा विन्ची (Leonardo da Vinci) ने एक डिज़ाइन बनाया जिसे एरियल स्क्रू (aerial screw) बताया जाता है. ये डिज़ाइन सिर्फ किताबों तक सीमित रहा.
उस ज़माने में हेलीकाप्टर को उड़ने के लिए बस एक स्टीम इंजन ही हुआ करता था. जो हेलीकाप्टर के वजन को उठा नहीं पता था. 1861 में एक फ्रेंच के अविष्कारक Gustave de Ponton (गुस्तावे) छोटे छोटे हेलीकाप्टर के मॉडल बनाये थे.
पहले के वैज्ञानिकों ने फिक्स्ड विंग का इस्तेमाल किया था, ये घूमते नहीं थे. गुस्तावे ने रोटरी विंग्स को बनाया था.
इंटरनल कंबस्शन इंजन :
अब तक सारे पहले हेलीकाप्टर के मॉडल स्टीम इंजन के सहारे चलरहे थे लेकिन इंटरनल कंबस्शन इंजन के बाद हेलीकाप्टर को ताकत मिल गयी थी.
1906 में फ्रेंच के अविष्कारक लुइस ब्रेगेट (Louis Breguet) ने पहलीबार हेलीकाप्टर को उड़ाया. लुइस के बाद और अविष्कारक हेलीकाप्टर को बनाया, सारे हेलीकाप्टर कुछ देर के लिए उड़ जाते थे लेकिन स्टेबल नहीं होते थे.
1925 में Juan de la Cierva (वनदे ला सियावो ) नाम के स्पनिश के अविष्कारक ने हेलीकाप्टर के विंग्स में बदलाव किये, इन विंग्स को आसानी से ऊपर निचे किया जा सकता था.
इस बदलाव के बाद हेलीकाप्टर में स्थिरता आगयी थी. इनके हेलीकाप्टर का नाम था ऑटो जाइरो (autogyro) था.
1936 में जर्मन के रहने वाले हेनरिच फोक (Heinrich Focke) नाम के अविष्कारक पहलीबार एक ऐसा हेलीकाप्टर बनाया जो पहले आरहे सारे मुश्किलों का हल निकाला और सक्सेसफुल हेलीकाप्टर रहा. लेकिन मॉडल भी प्रोडक्शन के लिए नहीं गया.
Igor Sikorsky :
1939 में अमरीका के इंजीनियर Igor Sikorsky और Wynn Laurence LePage ने मिलकर पहलीबार ऐसा हेलीकाप्टर बनाया जो पिछले सारे सवाल का जवाब दिया.
हेलीकाप्टर को स्टेबिलिटी का जो प्रॉब्लम आरहा था उसे हेलीकाप्टर के पिछले हिस्से में एक छोटासा रोटर लगाके हल निकला.
Igor Sikorsky ने अपने मॉडल्स में काफी सारे बदलाव किये और एक मॉडर्न हेलीकाप्टर बनाया जिसे प्रोडक्शन में भी लाया गया था.
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