हम सब ने अपने अपने बचपन में बिनोकुलर को खरीद कर दूर के चीज़ों को खरीब से देख कर खुश हो जाते थे बिनोकुलर्स में भी तरह तरह के होते है, खिलोने वाले वाले बिनोकुलर्स कुछ दूरी तक काम करते है. कुछ तो बहुत दूरी कवर करते है.
सोचो अगर बहुत दूर की जगह खरीब कर के देखना हो थो कैसे देखाजाएगा ? ज़माने में लोगों को आसमान एक रहस्यों से भरी हुई जगह जैसी लगने लगा था.
टेलिस्कोप के आविष्कार के बाद धीरे धीरे लोगों को ये समझमे अने लगा के पृध्वी एक ही प्लेनेट नहीं है और भी बहुत सारे प्लैनेट्स आसमान में होते है.
खरीब 1500 साल पहले किये गए सुधार ने और एक आईने को दूसरे आईने के साथ जोड़कर देखे जाने के बाद टेलिस्कोप का आविष्कार हुआ था. 1608 में पहली बार इतिहास में हंस लिपपेशेय (Hans Lippershey) नाम के आईने बनाने वाले आदमीने बनाया था.
इस टेलिस्कोप को देखने के बाद सारे यूरोप एक आईडिया आगया था के कैसे टेलिस्कोप को बनाना चाहिए और यूरोप में टेलिस्कोप को बनाने लग गए थे.
गैलिलियो ने इस टेलिस्कोप में सुधार करने के बाद इसे एस्ट्रोनॉमी के लिए इस्तेमाल करना शुरू करदिया था. अब यही से सूरज चाँद के सात और भी आसमान में रहने वाले बड़े बड़े प्लैनेट्स के बारे बारे में वक़्त के साथ मालूम होना शुरू होगया था.
कुछ लोगों के मुताबिक लिपपेशेय के दूकान में आये हुए 2 बच्चे 2 अलग अलग आईने को को लेकर खेलने लगे तो वायु फ़लक (वेअथेर वने) खरीब से दिखने लगा. लिपपेशेय (Lippershey ) ने इसी आईडिया को लेकर टेलिस्कोप को बनाया था.
लेकिन कुछ लोगों का ये भी कहना है के लिपपेशेय ने उसी गाँव में रहने वाले ज़चरीअस जनसेन ( Zacharias Jansen) नामी आईने बनाने वाले से इस आईडिया को चुराया है. लेकिन इन सब बातों का कोई सबूत नहीं है.
ज़चरीअस जनसेन भी कोई मामूली इंसान नहीं थे, ये भी बाद में माइक्रोस्कोप को बनाया था और इसके बदलाव में और इसे बेहतर बनाने में मदद भी किया था.
शुरू के ज़माने में बनाए गए इन टेलेस्कोपस में कॉन्वेक्स ऑब्जेक्टिव लेंस का उपयोग किया गया था. वक़्त के सात टेलिस्कोप में बदलाव आते गए.
20 वीं सदी में अलग अलग प्रकार में टेलेस्कोपस का जन्म हुआ जो अंतरिक्ष के अन्वेषण के लिए मददगार साबित हुए.
टेलेस्कोपस में Radio telescopes, Infrared telescopes, Ultra-violet telescopes, X-ray telescopes, Gamma-ray telescopes जैसे अलग अलग प्रकार के होते है. हर टेलिस्कोप के अपने अपने खुबिया है.