जीन्स हमारे बीच में 100 साल से भी ज़्यादा टाइम से है. इसे हर कोई पसंद करता है जीन्स को पहली बार मज़दूरी करनेवाले लोगों के लिए बनाया गया ताके बार बार ना फट जाये.
Tailor Story:
जीन्स को जैकब डेविस (Jacob Davis) और लेवई स्ट्रॉस (Levi Strauss ) ने मिलकर आविष्कार किया था.लेवई स्ट्रॉस 1851 में जर्मनी से न्यूयोर्क को अपने बड़े भाई के ड्राई गुड्स (dry goods) के व्यापार में शामिल होने के लिए अये थे. 1853 में व्यापार को बढ़ाने के लिए San Francisco को गए थे. वहा कॉटन के कपडे को भी बेचना शुरू किया था.
उनके एक कस्टमर थे Jacob W. Davis जो एक टेलर थे जो Tents, Horse blankets और wagon covers बनाया करते थे. Davis के एक लेडी कस्टमर ने अपने वुड कटर हस्बैंड (Husband) के लिए एक मज़बूत पैंट सीलने बोला.
Davis ने Levi Strauss के पास खरीदा हुआ डेनिम के कपडे से पैंट को सिला था.Davis ने एक अच्छी चीज़ ये की के पैन्ट्स जहा अक्सर फटा करते है जैसा के pockets वहा कॉपर रिवेट्स का इस्तेमाल करके और मज़बूत कर दिया.
Blue Jeans:
डेविस के पास इस आविष्कार का लाइसेंस (Patent) करने के लिए पैसे नहीं थे. लेवई स्ट्रॉस की मदद लेकर दोनों साथ में लाइसेंस के लिए अप्लाई (Apply) किया और दोनों पार्टनर्स बन गए और मई 20, 1873 में पेटेंट भी मिला. दोनों मिलकर एक फैक्ट्री खोल दी जहा से जीन्स बनना शुरू हो गये और लेविस ब्रांड का जन्म हुआ. जीन्स को पहले ब्लू जीन्स बुलाया जाता था बाद में जीन्स बुलाना शुरू कर दिया.
James Dean:
दूसरे विश्व युद्ध के वक़्त भी सिपाहियों ने जीन्स को इस्तेमाल किया था. सिपाही कभी काम के समय के बाद भी इन्हे पहना करते थे. उस वक़्त ये जीन्स बहुत ढीले हुआ करते थे. 1950s में अमेरिकन एक्टर जेम्स डीन ने रिबेल विथाउट आ कॉज (Rebel without a cause) मूवी में पहनने के बाद जवान लोग भी इसे पहनने लगे. 1970’s में USA में लोग इसे कैज़ुअल (casual) कपड़ों की तरह पहनने लगे.
1965 में एक रिटेलर ने एक नये जीन्स को धोकर पहना हुआ इफ़ेक्ट या worn effect लाने के बाद बहुत लोगों को पसंद आया. worn effect के लिए अलग अलग तरीके इस्तेमाल किये जाते है. जिसमे एक तरीक़ा है सैंड ब्लास्टिंग (sand blasting). इस तरीके से लोग बीमार होकर मर भी चुके है जिसे अब बंद कर दिया गया है.
वक़्त के साथ अलग अलग तरह के जीन्स बाज़ारों में दिखने लगे.