हम जो डायरी इस्तमाल करते है उसमे एक हद तक लिख सकते है लेकिन इलेक्ट्रॉनिक डायरी में बहुत सारी चीज़ों को लिख सकते है.
डायरी क्या होता है :
पुराने ज़माने में लोग अपनी ख़ास चीज़ों को एक नोटबुक में लिखते थे. या फिर अपनी ज़िन्दगी में चलने वाले हर रोज़ के खिस्से भी लिख कर महफ़ूज़ करते थे.
कुछ लोगों को अपने साथ हुई हर चीज़ को लिखना पसंद रहता है. इस डायरी से एक सबसे बड़ा खतरा ये था के आप ने डायरी को कोई भी पड़ सकता है.
डेरी अपने लाइफस्टाइल को लिखने के अलावा दिन भर के ज़रूरी काम करने में भी काम आता है .
टेक्नोलॉजी बढ़ जाना के बाद कम्प्यूटर्स हर जगह आम होने लगे है. अब इसमें आने वाला एक सॉफ्टवेयर को ही इलेक्ट्रॉनिक डायरी कहते है.
इस सॉफ्टवेयर में हम अपनी सारी चीज़ें लिख सकते है और दिन भर के कामों का लिस्ट बनाकर उनको मुक़म्मल भी कर सकते है.
सैम पित्रोदा (Sam Pitroda) :
सैम पित्रोदा नाम के एक इंडिया के अविष्कारक ने इलेक्ट्रॉनिक डायरी को अविष्कार किया था. 1966 में शिकागो में पढ़ते समय एलेक्ट्रोक डायरी के आविष्कार में मदत की थी.
सैम पित्रोदा को सत्यं पित्रोदा के नाम से भी जाना जाता है, इन्हे इंडिया में कंप्यूटर और आईटी रेलल्यूशन के फादर माना जाता है. इंडिया के प्रधान मंत्री राजीव गांधी और मनमोहन सिंह के ये एडवाइजर रहचुके है.
सैम का जन्म ओड़िसा में हुआ था, इनके माता पिता गुजरात के रहने वाले है. सैम की पढाई साड़ी गुजरात में ही हुई थी, मास्टर्स डिग्री को पूरी करने के बाद 1964 में अमेरिका जाकर इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग से मास्टर्स डिग्री को हासिल किया था.
अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद 1966 में GTE नाम के एक कंपनी में काम करना शुरू किया था. 1975 में इस कंपनी में काम करते वक़्त इलेक्ट्रॉनिक डायरी का आविष्कार किया था.
जब कभी कोई हिंदुस्तान का आदमी या फिर यूँ कहूँ थर्ड वर्ल्ड देश कोई चीज़ का अविष्कार करते है तो उनकी अहमियत बिलकुल नहीं होती.
वही कोई अमेरिका या यूरोप का आदमी किसी चीज़ का आविष्कार करता है तो उसे तुरंत मान्यता मिलना शुरू हो जाती है.
आज इस इलेक्ट्रॉनिक डायरी के वजह से कोई भी इवेंट का रिमाइंडर या कोई अपॉइंटमेंट, मीटिंग को हम याद रख सकते है.
इलेक्ट्रॉनिक डायरी के अविष्कार के बाद बहुत सारे अलग अलग नाम से एप्लीकेशन्स को बनाना शुरू किया है.