जब पहलीबार कंप्यूटर का आविष्कार हुवा था आज जैसे कम्यूटर्स हुआ नहीं करते थे. एक रूम जितने बड़े कम्प्युटर्स होते थे. इन कंप्यूटर के कंपोनेंट्स को तार से जोड़ा जाता था और ट्रांसिस्टर्स के जगह वैक्यूम ट्यूब का इस्तेमाल करते थे.
इस वेब साइट पर हमने पहले ही कंप्यूटर के अविष्कार के बारे में लिक चुके है. कंप्यूटर हमारी हमारे दिन भर के कामों में हमें मदत करता है, चाहे वो ऑफिस हो या घर.
कंप्यूटर की एक सीमा है जहां जाके ये जवाब दे जाता है. मुश्किल काम करने के लिए और बहुत सारे काम कुछ सेकंडस में करने के लिए सुपरकम्प्युटर की ज़रूरत पड़ती है.
इस आर्टिकल में विस्तार से सुपरकम्प्युटर के बारे में जानेंग।
दुनिया का सबसे पहला सुपरकम्प्युटर :
शुरू ज़माने में कम्प्यूटर्स बहुत बड़े होते थे और इन्हे रखने के लिए एक रूम की ज़रूरत पड़ती थी, कम्प्यूटर्स तारों से जुड़े हुए होते थे.
साल 1957 में स्पिर्री कारपोरेशन ( Sperry Corporation) नाम की एक मशहूर एल्क्ट्रॉनिक्स की कंपनी हुआ करती थी. इस कंपनी में काम करने वाले कुछ इंजीनियर ने मिलकर कण्ट्रोल डाटा कोरोपोरशन (CDC) नाम की कंपनी को शुरू किया था.
सेयमोर क्रेय नाम के एक और इंजीनियर ने एक साल बाद CDC कंपनी में ज्वाइन किया था.
क्रेय ने 1960 में CDC 1604 नाम का सॉलिड स्टेट कंप्यूटर को बनाया था. जो उस वक़्त का फास्टेस्ट कंप्यूटर था. CDC 1604 को ही दुनिया का सबसे पहला सुपरकम्प्युटर माना जाता है.
सॉलिड स्टेट कंप्यूटर :
कंप्यूटर में सेमीकंडक्टर (Semiconductor), इंटीग्रेटेड चिप (IC), ट्रांजिस्टर (Transistor), डायोड (Diode) का इस्तेमाल करनेवाले कंप्यूटर को सॉलिड स्टेट कंप्यूटर कहा जाता है.
पहले ज़माने में कंप्यूटर को बनाने के लिए तार और वैक्यूम ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता था, जिसके कारन कंप्यूटर आहिस्ता चलकरते थे.
1964 में क्रेय और उनके साथियों ने मिलकर स्पीड को बढ़ाने वाले सिलिकॉन ट्रांजिस्टर (silicon transistors) को इस्तेमाल किया था. ये एक सुपरकम्प्युटर था ही इसके सात इसमें कूलिंग सिस्टम भी जोड़ दिया गया था, ताके हीटिंग से जुडी समस्या को दूर कर सके.
फ्लॉप्स – फ्लोटिंग पॉइंट ऑपरेशन्स पर सेकंड (FLOPS) :
अगर सुपरकंप्यूटर की बात हो रही है तो हमें फ्लॉप्स के बारे में जान न बहुत ज़रूरी है.
फ्लॉप्स को कंप्यूटर के परफॉरमेंस बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. उदहारण के तौर पर हमारे पास दो नंबर है.
1 . 10,000
2 . 10
इन दो नंबर्स को हम एक और तारीखे से भी लिखसकते है.
1 . 10 10 ^3
2 . 10 10^0
इस तरह फ्लॉप्स का इस्तेमाल करके एक कंप्यूटर की परफॉरमेंस को बड़ादि जाती है. एक सुपर कंप्यूटर सौ क्वाड्रिलियन फ्लॉप्स एक सेकंड (hundred quadrillion FLOPS) में करता है.
CDC कंपनी ने 1968 में CDC 7600, 1972 में STAR-100 नाम के सुपर कम्प्यूटर्स को बनाया था. इन दोनों कम्प्यूटर्स में प्रोसेसर की स्पीड भी बड़ादि गयी थी.
सेयमोर क्रेय का CDC से अलग होजाना:
क्रेय ने खुद की कंपनी बनाने के लिए CDC को छोड़ दिया था. क्रेय वेक्टर प्रोसेसिंग और लिक्विड कूलिंग जैसे तकनीक का इस्तेमाल करके Cray-1, Cray X-MP, Cray-२ जैसे सुपरकम्प्युटर्स को बनाया था.
20 वि सदी में हर सुपर कंप्यूटर पहले वाले सुपर कंप्यूटर से ज़्यादा प्रोसेसिंग पावर और फ्लॉप्स के सात बनाना शुरू किया गया था.
21 वि सदी में पेटास्केल कंप्यूटिंग के साथ सुपर कम्प्यूटर्स को बनाना शुरू किया गया था. आज दुनिया का सबसे फ़ास्ट सुपर कंप्यूटर जापान के पास है, जिसका नाम फुगाकु (Fugaku) है .